इस् बार् जब् वो छोटी सी बच्ची मेरे पास् अपनी खरोन्च् ले कर् आयेगी
मैन् उसे फू फू कर् नहीं बेहलाऊन्गा
पनपने दुंगा उसकी टीस् को
इस बार नहीं
इस् बार् जब् मै चेहरोन् पर् दर्द् लिख देखून्गा
नही गाउन्गा गीत् पीडा भुला देने वाले
दर्द् को रीसने दून्गा,उटरने दून्गा अन्दर् गेहरे
इस बार नहीं
इस् बार् मै ना मरहम् लगाऊन्गा
ना ही उठाऊन्गा रुइ के फहेय्
और् ना ही कहूंगा कि तुम् आखें बंद् करलो,गर्दन् उधर् कर् लो
मै दवा लगाता हुं
देखने दुंगा सबको हम् सबको खुले नन्गे घाव्
इस बार नहीं
इस् बार् घावों को देखना है
गौर् से
थोडा लम्बे वक्त तक्
कुछ् फ़ैसले
और् उसके बाद् हौसले
कहीं तो शुरुवात् करनी ही होगी
इस् बार् यही तय् किया है !
-प्रसून जोशी